Hindi Poetry
सुना तो था
जान है तो जहान है
सुनते तो रहे हैं बचपन से
पर जान पे यूँ बन आयेगी
ऐसा तो कभी सोचा भी ना था …
कुछ कह रहा है कोरोना
कोरोना तो एक बहाना है
मक़सद तो सबक़ सिखलाना है
इंसान जो बनने चला था ख़ुदा
उसे वापस राह पे लाना है
…कोरोना तो एक बहाना है
कोरोना कविता
सुबह बन तो रही है दोपहर
और दोपहर बन रही है शाम
जो जल्द पड़ जाती है स्याह कुछ ही घंटों में
और रात आ खड़ी होती हैं जहाँ थी शाम
ज़िंदगी बाक़ी है
ज़िंदगी कुछ तो बता क्या है इरादा तेरा
कुछ तो दे अता पता समझूँ मैं इशारा तेरा
ज़िंदगी कुछ तो बता क्या है इरादा तेरा ….
हिंद पर नाज़ …?
जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहाँ हैं …?
जिन्हें फ़क्र है हिंद पर वो कहाँ हैं …?
क्यों लगता है…
मुश्किल से सम्भाला था अपने आप को इन पिछले दिनों क्यों लगता है कि फिर वही गुलाबी शाम है क्यों लगता है कि मैंने तुम्हारे लिए दरवाज़ा खोला है ...बड़ी...