ज़िंदगी बाक़ी है
ज़िंदगी कुछ तो बता क्या है इरादा तेरा
कुछ तो दे अता पता समझूँ मैं इशारा तेरा
ज़िंदगी कुछ तो बता क्या है इरादा तेरा ….
लगता है सफ़र हुआ है तमाम पर राह तो अभी बाक़ी है
गीत हैं सब आधे अधूरे पर धुन तो अभी बाक़ी है
लगते हैं फूल मुरझाए से पर ख़ुशबू तो अभी बाक़ी है
है दूर दूर तक सन्नाटा पर हरकत तो अभी बाक़ी है
ज़िंदगी कुछ तो बता क्या है इरादा तेरा
कुछ तो दे अता पता समझूँ मैं इशारा तेरा
ज़िंदगी कुछ तो बता क्या है इरादा तेरा ….
कहानी हुई खतम पर किताब में पन्ने तो बाक़ी हैं
सब घड़ियाँ गयी हैं रुक पर समय तो अभी बाक़ी है
दिन होने लगे लम्बे पर मौसम में तो तल्ख़ी बाक़ी है
आ गया पतझड़ पर पेड़ों पर कुछ फूल तो अभी बाक़ी हैं
ज़िंदगी कुछ तो बता क्या है इरादा तेरा
कुछ तो दे अता पता समझूँ मैं इशारा तेरा
ज़िंदगी कुछ तो बता क्या है इरादा तेरा ….
वंदना सिंह
१६ मार्च, नई दिल्ली