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क्यों लगता है…

We shall overcome

मुश्किल से सम्भाला था अपने आप को इन पिछले दिनों
क्यों लगता है कि फिर वही गुलाबी शाम है
क्यों लगता है कि मैंने तुम्हारे लिए दरवाज़ा खोला है
…बड़ी मुश्किल से सम्भाला था

मुश्किल से सम्भाला था अपने आप को इन पिछले दिनों
क्यों लगता है कि तुमने फिर कानों में कुछ कहा है
क्यों लगता है कि फिर मेरे कानों ने कुछ सुना है
…बड़ी मुश्किल से सम्भाला था

मुश्किल से सम्भाला था अपने आप को इन पिछले दिनों
क्यों लगता है कि कुछ खोने वाला है
क्यों लगता है कि कुछ होने वाला है
…बड़ी मुश्किल से सम्भाला था

वन्दना ‘दीपा’
२ जनवरी २०२०, नई दिल्ली

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